स्ट्रोक के बारे में A से Z तक हर जानकारी यहां पाएं

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क्‍या है स्‍ट्रोक

स्ट्रोक (जिसे मस्तिष्क के दौरे के नाम से भी जाना जाता है) तब होता है, जब मस्तिष्क से रक्त आपूर्ति या निकास के लिए उत्तरदायी रक्तवाहिका में अवरोध या रिसाव (या अवरोध और रिसाव दोनों) के कारण मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है, इस प्रकार मस्तिष्क की क्षति के कारण गतिविधि, संवेदनशीलता, वाक् एवं दृष्टि इत्यादि में परेशानी और कभी-कभी मृत्यु तक हो सकती है। 

 

स्ट्रोक के प्रकार

इस्कीमिया स्ट्रोक: भारत में लगभग सत्तर से पचहत्तर प्रतिशत सभी स्ट्रोक इस्कैमिक होते हैं, जो कि मस्तिष्क में रक्तवाहिकाओं की अंदरूनी परत पर वसायुक्त (फैटी) जमावों या रक्त के थक्कों (ब्लड क्लोट) के कारण रक्त प्रवाह व रक्त आपूर्ति में अवरोध के उत्पन्न करते है। 

 

हेमरेज स्ट्रोक: यह तब होता है, जब मस्तिष्क में रक्तवाहिकाओं से रिसाव होता है और रक्त मस्तिष्क उत्तकों के आसपास जमा या फैलने लगता है। इसे ब्रेन हेमरेज के नाम से भी जाना जाता है।  

 

इंट्रासेरेब्रल हेमरेज: यह हेमरेजिक स्ट्रोक का सबसे सामान्य प्रकार है। यह तब होता है, जब मस्तिष्क की रक्तवाहिकाओं में रिसाव होता है तथा उत्तकों के आसपास रक्त बहता है।

 

सबाराकनॉइड हेमरेज: इसमें मस्तिष्क और उसे सुरक्षित करने वाली झिल्ली (मेम्ब्रेन) के बीच रक्त बहता है। 

 

ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक्स (टीआईए): इसे चेतावनी स्ट्रोक या मिनी-स्ट्रोक भी कहा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कोई स्थायी नुकसान नहीं होता है। टीआईए को पहचानना और तुरंत उपचार प्रमुख स्ट्रोक के ज़ोखिम को कम कर सकता है।

 

 

लक्षण 

स्ट्रोक किसी भी गतिविधि, इन्‍द्रीय, बोलने, व्यवहार, विचार, याददाश्त और भावनाओं को प्रभावित कर सकता है। शरीर में पक्षाघात/लकवा या कमजोरी हो सकती है।

 

स्ट्रोक के सबसे सामान्य पांच लक्षण इस प्रकार हैं:

 

चेहरे, बांहों या पैरों की सुन्नता या कमजोरी।

भ्रम या बोलने या दूसरों की बात समझने में कठिनाई।

देखने में परेशानी।

चलने में कठिनाई, संतुलन या सामंजस्य में कमी।

अचानक अकारण तेज सिरदर्द।

 

 

कारण

निम्नलिखित ज़ोखिम वाले कारकों की उपस्थिति से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक विकसित होने का ख़तरा अधिक होता है:

 

क. असंशोधित

 

पारिवारिक इतिहास।

वृद्धावस्था।

पुरूषों में।

 

ख. संशोधित

 

उच्च रक्तचाप।

मधुमेह।

उच्च कोलेस्ट्रॉल।

हृदय रोग।

धूम्रपान (जो कि रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचाता है तथा धमनियों को कठोरता करता है)।

अत्यधिक अल्कोहल का उपभोग (जो कि उच्च रक्तचाप बढ़ाता है)।

सामाजिक-आर्थिक स्थिति में कमी।

 

 

जांच

स्ट्रोक की जांच मुख्यत: मस्तिष्क इमेजिंग/छवियों के सहयोग से की जाती है।

 

सीटी स्कैन और एमआरआई

मस्तिष्क इमेजिंग के लिए उपयोग की जाने वाली दो सामान्य पद्यति कंप्यूटर टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन और मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग' (चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग-एमआरआई) स्कैन हैं।

सीटी स्कैन एक्स-रे जैसा है, लेकिन यह मस्तिष्क की विस्तृत जानकारी के लिए अधिक इमेज़िस/छवियां, त्रि-आयामी (3डी) छवियां निर्मित करता है।

एमआरआई स्कैन शरीर के भीतर का विस्तृत दृश्य बनाने के लिए शक्तिशाली रेडियो तरंगों और मज़बूत मैग्नेटिक क्षेत्र का उपयोग करता है। 

 

ग्रास (निगलना) परीक्षण:

जिस व्यक्ति को स्ट्रोक है, उसका ग्रास (निगलना) परीक्षण करना बेहद ज़रूरी है। जब किसी को निगलने में परेशानी होती है, तब आहार और पेय पदार्थों का उस व्यक्ति की श्वासनली में जाने का ज़ोखिम होता है, और उसके बाद यह फेफड़ों (एस्पिरेशन कहा जाता है) में चला जाता है, जिससे छाती में संक्रमण और निमोनिया हो सकता है।

 

आमतौर पर स्ट्रोक की जांच करने के लिए कुछ अन्य परीक्षण किए जाते हैं, जैसे कि:

 

अल्ट्रासाउंड (कैरोटिड अल्ट्रासोनोग्राफी): अल्ट्रासाउंड स्कैन शरीर के अंदर का चित्र बनाने के लिए उच्च आवृत्ति ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। चिकित्सक गर्दन में उच्च आवृत्ति ध्वनि तरंगों को भेजने के लिए छड़ी की तरह जांच उपकरण (ट्रांसड्यूसर) का उपयोग करता हैं। यह स्क्रीन पर छवियां बनाने के लिए ऊतकों के माध्यम से गुजरता हैं, जो कि मस्तिष्क की ओर जाने वाली धमनियों में किसी भी तरह के संकुचन या थक्का (क्लोटिंग) को दर्शाएगा। इस प्रकार के अल्ट्रासाउंड स्कैन को कभी-कभी "डोप्लर स्कैन" या "डुप्लेक्स स्कैन" के नाम से भी जाना जाता है।

 

ब्रेन (मस्तिष्क) एंजियोग्राफी: इसका उपयोग मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की छवियां लेने के लिए किया जाता है। इसे सीटी (सीटी एंजियोग्राफी), एमआरए (एमआर एंजियोग्राफी) या कैथेटर एंजियोग्राफी बोले जाने वाली इन्ज़ेक्टिंग डाई का उपयोग करके किया जाता है। यह अल्ट्रासाउंड, सीटी एंजियोग्राफी या एमआर एंजियोग्राफी का उपयोग करके प्राप्त की जाने वाली धमनियों की अधिक विस्तृत जानकारी देता है।

 

इकोकार्डियोग्राम: कुछ मामलों में इकोकार्डियोग्राम का उपयोग किया जाता है। इकोकार्डियोग्राम एक अल्ट्रासाउंड परीक्षण है, इसमें हृदय की छवियां बनाने के लिए ध्वनि तरंगों (अल्ट्रासाउंड) का उपयोग किया जाता है। इस परीक्षण के दौरान हाथ में पकड़ी छड़ को छाती (ट्रांसथोरासिक इकोकार्डियोग्राम) के ऊपर रखा जाता है, जो कि हृदय की छवियां प्रदान करती है। इसके अलावा, ट्रांससोसोफैगल इकोकार्डियोग्राफी (टीओई) का भी उपयोग किया जा सकता है। ट्रांससोसोफैगल इकोकार्डियोग्राम अल्ट्रासाउंड का उपयोग करता है, ध्वनि तरंगे (अल्ट्रासाउंड) हृदय की छवियां बनाती हैं। एक छोटा अल्ट्रासाउंड डिवाइस गले से आहार नलिका में पारित किया जाता है, यह हृदय के पीछे रहता है। यह परीक्षण हृदय की विस्तृत छवियां प्रदान करता है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए आपके गले को सुन्न किया जाता है। क्योंकि यह सीधे हृदय के पीछे होता है। यह रक्त के थक्के और अन्य असामान्यताओं की स्पष्ट छवि उत्पन्न करता है, जिसे ट्रैनस्टोरैसिक इकोकार्डियोग्राम द्वारा नहीं लिया जा सकता हैं।

 

 

प्रबंधन

सभी रोगियों को स्ट्रोक के वर्गीकरण में अच्छी सहायक देखभाल की आवश्यकता होती है, जिसमें रेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन और स्ट्रोक में प्रभावी उपचार के सहयोग के साथ-साथ चिकित्सकों, नर्सों, फिजियोथेरेपिस्ट, वाक् चिकित्सकों, व्यावसायिक चिकित्सकों द्वारा देखभाल की जाती है।

 

इस्कीमिक स्ट्रोक

इस्कीमिक स्ट्रोक का मूल कारण रक्त का थक्का है, जिसे रोगी की बांह की नसों से टी-पीए जैसे 'क्लॉट-बस्टर्स' के इंजेक्शन से हटाया जा सकता है, लेकिन यह केवल एक तिहाई रोगियों में सफल होता है, जो कि इस इंजेक्शन को स्ट्रोक की शुरुआत के तीन घंटे के भीतर प्राप्त करते हैं। अधिकांश रोगियों में स्ट्रोक के वर्गीकरण के तहत 'रक्त थिनर' (एस्पिरिन) और उपचार का उपयोग किया जा सकता है। कुछ रोगियों में मस्तिष्क में प्राणघातक सूजन विकसित हो जाती है तथा उनका जीवन बचाने के लिए सर्जरी (हेमी क्रेनियोटॉमी) की आवश्यकता होती है। अच्छी तरह से सुसज्जित केंद्रों में एंजियोग्राफी के बाद रक्त के थक्के को धमनियों के अंदर डिवाइस द्वारा यांत्रिक विधि से हटाया जा सकता है। इनके अलावा ज़ोखिम के कारक, बुख़ार, उच्च रक्तचाप और सिर के भीतर होने वाले उच्च दबाव को नियंत्रित किया जाना चाहिए।

 

ब्रेन हेमरेज इंट्रा-सेरेब्रल हेमरेज

नसों में रिसाव जल्द ही अपने आप बंद हो जाता है, क्योंकि रक्त के थक्के छेद वाले हिस्से (पेंचर साइट) को बंद (सील) कर देते हैं, लेकिन एक तिहाई रोगियों में कुछ रिसाव चौबीस घंटे तक जारी रहता है। निरंतर होने वाले रक्त रिसाव को रोकने के लिए रक्तचाप नियंत्रण महत्वपूर्ण है। कई रोगियों में रक्त के बड़े थक्के हटाने के लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जिसके कारण खोपड़ी के अंदर दबाव की वृद्धि जीवन के लिए प्राणघातक हो सकती है। बाकी उपचार इस्कीमिक स्ट्रोक के समान है।

 

सबाराकनॉइड हेमरेज

 

प्राय: यह रक्तवाहिकाओं में बल्ज़ जैसे सैक (थैले जैसा उभरा हुआ हिस्सा) के कारण होता है, जिसमें जीवन के लिए प्राणघातक पुन: रक्तस्राव होने की प्रवृत्ति होती है। पुन: रक्तस्राव रोकने के लिए कोइलिंग के साथ सर्जरी या एंजियोग्राफी की आवश्यकता होती है।

मस्तिष्क में बढ़ने वाले दवाब के लक्षणों जैसे कि बेचैनी, भ्रम, किसी की बात पर प्रतिक्रिया न करना और सिरदर्द की निगरानी की जानी चाहिए। अत्यधिक खांसी, उल्टी, भार उठाना और मल त्याग में परेशानी के कारण होने वाले तनाव से रोगी को दूर रखने के लिए अन्य उपाय किए जाने चाहिए। 

कुछ मामलों में रक्तचाप, मस्तिष्क की सूजन, रक्त शर्करा के स्तर, बुखार और दौरे को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं।

यदि आवश्यक है, तो सर्जरी की जा सकती है, जिसमें रक्त के थक्के (ब्लड क्लोट) को सर्जिकल के माध्यम से हटाना, धमनी विस्फार काटना, मुड़े वाहिकारोध (कॉइल इम्बोलिज़म/धमनी या शिरा में रक्तसंचालन का मुड़े अवरोध), धमनीशिरापरक विकृति (आर्टेरियोवेनस मेलफॉर्मेशंस-एवीएम) शामिल है। 

 

 

जटिलताएं

स्ट्रोक के परिणामस्वरूप कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, उनमें से कई जीवन के लिए प्राणघातक हैं। 

 

इनमें से कुछ जटिलताएं निम्नलिखित हैं:

 

निगलने में कठिनाई (डिस्फेजिया): स्ट्रोक के कारण होने वाला नुकसान सामान्य निगलने की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है, जो कि श्वसन पथ (श्वासनली) में आहार के छोटे-छोटे कणों के प्रवेश को संभव बनाता है। निगलने में समस्या को डिस्फेजिया के नाम से जाना जाता हैं। डिस्फेगिया फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, जो कि फेफड़ों के संक्रमण (निमोनिया) को ट्रिगर कर सकता है।

 

जलशीर्ष (हाइड्रोसेफ़लस): हाइड्रोसेफ़लस एक चिकित्सकीय स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क के निलयों या कोटरों (कैविटी) में मस्तिष्कमेरु द्रव सीएसएफ (सेरेब्रोस्पाइनल द्रव) का असामान्य जमाव हो जाता है। हेमरेजिक स्ट्रोक से पीड़ित दस प्रतिशत लोगों में हाइड्रोसेफ़लस विकसित हो जाता है।

गहरे नसों के थ्रोम्बिसिस (डीप वेन थ्रोम्बोसिस) (डीवीटी): स्ट्रोक से पीड़ित कुछ लोगों को अपने पैर में रक्त के थक्के (ब्लड क्लोट) का अनुभव हो सकता है, जिसे गहरी नसों की थ्रोम्बिसिस (डीवीटी) के नाम से जाता है। यह आमतौर पर उन लोगों में होता है, जो कि अपने पैरों की कुछ या सारी गतिशीलता (कम चलना-फिरना) खो चुके है। गतिशीलता में कमी (गतिहीनता) नसों में रक्त प्रवाह को धीमा कर देती है, जिसके कारण रक्त का दवाब बढ़ जाता है तथा जिससे रक्त का थक्के की बनने की संभावना होती है।

 

क. इस्कीमिया स्ट्रोक: कुछ रोगियों में (लगभग पंद्रह से बीस प्रतिशत) स्ट्रोक से ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक्स ‘टीआईएएस’ विकसित हो जाता है। टीआईएएस के लक्षण अस्थायी होते हैं, जिसमें सामान्यत: कमजोरी, देखने में परेशानी, बोलने में समस्या या संवेदी गड़बड़ी शामिल हैं। टीआईएएस से पीड़ित रोगियों को कैरोटिड नैरो (ग्रीवा धमनी संबंधी संकुचन) सहित ज़ोखिम के कारकों का पता लगाने और नियंत्रण के लिए जितनी जल्दी संभव हो सके उतनी जल्दी चिकित्सक को देखने की आवश्यकता है।

 

ख. जीवन में पहले कभी न अनुभव होने वाला भीषण सिरदर्द सबाराकनॉइड हेमरेज के 'चेतावनी रिसाव' का लक्षण हो सकता है। इस लक्षण से पीड़ित रोगियों में सबाराकनॉइड हेमरेज का पता लगाने के लिए सिर की तुरंत सीटी स्कैन की जाने की आवश्यकता होती है।

 

रोकथाम 

स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसके लिए यह कथन 'उपचार से बेहतर रोकथाम'  सटीक और उचित है। स्ट्रोक रोकने की कुंजी 'चार और चार' में छिपी है। चार जीवनशैली कारक जैसे कि तंबाकू सेवन न करना (धूम्रपान या तंबाकू चबाने से बचाव), ज़रूरत से ज़्यादा अल्कोहल से बचना, संतुलित आहार (कम नमक, अत्यधिक फल एवं सब्जियों का उपभोग) का सेवन और पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों को बनाए रखना (सप्ताह में पांच दिन कम से कम तीस मिनट तेज चलना) स्ट्रोक की रोकथाम में मदद करता है। चार चिकित्सीय स्थितियों जैसे कि उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च वसा (कोलेस्ट्रॉल या वजन नियंत्रण) और हृदय रोग को नियंत्रित रखना चाहिए। यदि उपर्युक्त चार जीवनशैली कारकों और चार चिकित्सीय स्थितियों पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए, तो स्ट्रोक के ज़ोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है। स्ट्रोक रोकने के लिए हृदय रोग, विशेषकर अनियमित हृदय की धड़कन में रक्त पतला करने की आवश्यकता होती है। चेतावनी लक्षण या मिनी स्ट्रोक में गर्दन के स्तर पर संकुचित रक्त वाहिका की जांच से पता लगाने की आवश्कता होती है। यदि उपस्थित है, तो पर्याप्त उपचार के साथ-साथ रक्त पतला/ब्लड थिनर; और ज़ोखिम के कारकों को नियंत्रित किया जाता है। चेतावनी रिसाव में एंजियोग्राफी की आवश्यकता होती है और सबाराकनॉइड हेमरेज को रोकने के लिए पर्याप्त उपचार की आवश्यकता होती है।

(नेशनल हेल्‍थ पोर्टल से साभार)

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